कविता -पुरानी सभ्यताओं सी तुम
पुरानी सभ्यताओं सी तुम मेरे मृत हृदय की ख़ुदाई में यहाँ – वहाँ मिल जाती हो ...
तुम तनु और सान्द्र रसायन के मध्य विफ़ल हुआ कोई प्रयोग हो ...
भौतिकी के सूत्र सी ख़ुद को सत्यापित करने की ज़द्दोज़हद में तुम हर दफ़ा असत्यापित रह जाती हो मेरे जीवन में ...
मनोवैज्ञानिक सी मेरी हर बात को परत - दर – परत टटोलती रहती तुम ...
अनन्त और शून्य के मध्य सारी गणनाओं में सर्वोच्च अंक ही लाती हो ...
जब मैं हिंदी में लिखता हूँ तो तुम्हें उर्दू की किताबें रास आती हैं...
तुम्हारी पसंद जान मैं उर्दू में लिखूँ तो तुम अंग्रेजी की किताबों में आँखे गड़ा लेती हो...
और सुनो ना !
तुम अपनी पोस्ट की तस्वीरों में बढ़ती चेहरे की झुर्रियाँ ...बालों की सफ़ेदी दिखा ;लाख कोशिश करो ख़ुद से दूर करने की...
पर मैं तुम्हारी तस्वीरों को ताउम्र लाईक करता रहूँगा...ताउम्र तुमसे ही प्यार करता रहूँगा...
हाँ ! बस तुमसे ही प्यार करता रहूँगा...💕💕💕💕💕💕💕
🌻लेखिका ✍️©®शिवांगी शर्मा
🌻©®Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
🌻स्वरचित , मौलिक व सर्वाधिकार सुरक्षित
Swati chourasia
18-Nov-2021 08:34 PM
Very beautiful 👌
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Ravi Goyal
18-Nov-2021 08:06 PM
Waah bahut khoob 👌👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
18-Nov-2021 08:02 PM
Nice
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